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हमारे भारत देश में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थान है जो विश्व
की सबसे अद्भुत रचनाएँ है। इनमें से अधिकतर रचनाएँ तो ऐसी है जिन्हें आज के तकनीकी
उपकरणों की सहायता लेकर बनाना भी असंभव है । इनमें से ही एक है महाराष्ट्र के औरंगाबाद
में स्थित कैलाश मंदिर । यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है इसलिए इसे एलोरा का
कैलाश मंदिर भी कहा जाता है । यह मंदिर केवल एक बड़ी चट्टान को काटकर बनाया गया है ।
आज हम इस कैलाश मंदिर के इतिहास, बनावट, निर्माण, बनने में लगे समय के बारे में जानेंगे
।
कैलाश मंदिर भारत के सबसे अधिक शानदार रचनाओं में से एक
है इस मंदिर की खासियत ये है की इसे केवल एक चट्टान को ऊपर की ओर से काटकर बनाया गया
है । इसी कारण यह विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है । जो आज के तकनीकी समय में
भी असंभव है । विशेषज्ञों द्वारा बताया गया है की इसे बनाने के लिए जिन पत्थरों को
चट्टान से हटाया गया था उनका वजन करीब 40,000 टन था । इस चट्टान को अंदर से खोखला कर
मंदिर का निर्माण ही नहीं किया गया अपितु इसी चट्टान को काटकर यहाँ कई मूर्तियों का
निर्माण किया गया है ।
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कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा
की गुफाओं में स्थित है यह मंदिर एलोरा की गुफा नंबर 16 में स्थित है ।
कैलाश मंदिर को राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम)
ने 757 – 783 में निर्मित करवाया था । कैलाश मंदिर को बनने में लगभग 100 से 150 वर्ष
का समय लगा था । इस मंदिर को बनाने के लिए 7000 मजदूरों ने दिन रात काम किया था ।
कैलाश मंदिर 276 फुट लंबा तथा 154 फुट चौड़ा है । चट्टान
को काट – काट कर इस मंदिर को 90 फुट ऊंचा बनाया गया । इस मंदिर के खुले मंडप में नंदी
स्थित है तथा इसके दोनों ओर दो विशालकाय हाथियों को बनाया गया है ।
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कैलाश मंदिर को 1983 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल
घोषित किया था ।
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1 टिप्पणियाँ
Bahut sundar
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