Namaste Bharat AJ

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दुनिया के 10 महान अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तथा इसरो

Top 10 Space research agencies in the world
दुनिया की 10 सबसे बड़ी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसिस



आपका एक बार फिर स्वागत है Namaste Bharat AJ | नमस्ते भारत ए जे पर।

मानव सभ्यता इस पृथ्वी की सबसे उन्नत सभ्यता है। हम इंसानों ने पृथ्वी पर रहते हुए कहीं खोजे तथा आविष्कार किए। हमने पृथ्वी पर अनेक प्रकार के जीवों की खोज की। हमने अनेक प्रकार के पेड़-पौधों तथा वनस्पति खोजे। इस विशाल गृह पर हमारे द्वारा अनेक प्रकार की खोजें की गई परंतु हम मनुष्यों को पृथ्वी की इन सभी खोजों से संतुष्टि नहीं मिली क्योंकि इंसान इस गृह से बाहर देखना चाहता था की पृथ्वी के बाहर भी कुछ हो सकता है जिसे जानना हमारे लिए बहुत आवश्यक है इसलिए इस दुनिया के कई देशों ने अंतरिक्ष में खोज करने के लिए एजेंसियों का निर्माण किया जिन्हे हम Space Research agencies या Space research organisation कहते है । आज हम दुनिया की कुछ बड़ी space research organisation के बारे में बात करेंगे।


National Centre for space studies (CNES)

National Centre for space studies (CNES)


इस एजेंसी को 1961 में बनाया गया था । तथा इसका 2018 का बजट $2.43 बिलियन था।

यह एक फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी है जो जर्मनी तथा अन्य सरकारों द्वारा चलायमान है यह एजेंसी एक ऐसा यान बनाने में लगी है जिसे एक से अधिक बार उपयोग में लाया जा सके तथा इसे मीथेन द्वारा चलाया जा सके। इस एजेंसी का उद्देश्य रॉकेट की लागत में भारी कमी लाना है। यह एजेंसी formation flying (फॉर्मैशन फ्लाइंग) नामक तकनीक भी विकसित कर रहे है जिसमे कई उपग्रह और उनके भारी घटकों को नियंत्रित करने का कार्य किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organisation) के सहयोग से इन्होंने Megha-Tropiques (मेघा-ट्रॉपिक्स) उपग्रह को कक्षा में तैनात किया है जो वर्तमान में जलवायु के संदर्भ में जल चक्र का विश्लेषण कर रहा है।


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Italian Space Agency  

इस अंतरिक्ष एजेंसी को 1988 में स्थापित किया गया था तथा 2016 में इस एजेंसी का कुल बजट $1.8 बिलियन था ।

इस एजेंसी ने 1996 में अपना पहला बड़ा उपग्रह बेप्पोसैक्स लॉन्च किया था। उसके बाद इस एजेंसी ने कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष   परियोजनाओं में सहयोग किया जिसके उदाहरण है कैसिनी-ह्यूजेंस, मार्स एक्सप्रेस, मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर, वीनस एक्सप्रेस, जूनो तथा एक्सएमएम-न्यूटन।

 

German Aerospace Centre

इस अंतरिक्ष एजेंसी को 1969 में स्थापित किया गया था तथा इसका 2016 में बजट $2.55 बिलियन था।

यह एजेंसी वर्तमान में पर्यावरण की हानि कम से कम करने पर जोर दे रही है यह अंतरिक्ष की परिवहन सुरक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करती है इनका कार्य अंतरिक्ष के परिवहन को सुरक्षित कर पर्यावरण के संसाधनों को बचाना है। इनके कुछ बड़े प्रोजेक्ट है जिनमे वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली गैलीलियो, मार्स एक्सप्रेस और शटल रडार टोपोग्राफी मिशन शामिल हैं।  

 

Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA)

Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA)


JAXA को 1993 में स्थापित किया गया था इसका 2013 में बजट $2.03 बिलियन था।

यह जापान की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी है यह बहुत नई होने के बावजूद कई उन्नत मिशनों में शामिल है जिसमे उपग्रह प्रक्षेपण, चंद्रमा पर खोज तथा क्षुद्र गृह की खोज शामिल है। JAXA अन्य एजेंसियों के लिए भी उपग्रह विकसित करने का कार्य करती है। 2005 में इन्होंने मौसम अवलोकन के लिए मल्टी-फंक्शनल ट्रांसपोर्ट सैटेलाइट 1R लॉन्च किया था तथा इसके एक साल बाद इन्होंने हवाई यातायात में मदद करने के लिए इस उपग्रह का दूसरा वर्ज़न भी लॉन्च कर दिया। इसके अलावा हाल ही में इन्होंने पृथ्वी की निचली कक्षा में पहला केन्याई उपग्रह लॉन्च किया है।

 

SpaceX

SpaceX


स्पेसएक्स एक निजी अंतरिक्ष एजेंसी है इसे 2002 में एलोन मस्क द्वारा स्थापित किया गया था।

कुछ समय पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था की एक निजी एजेंसी भी अंतरिक्ष अनुसंधानों में बड़ी सरकारी एजेंसियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकती है परंतु आज बात बिल्कुल बदल गई है। 2008 में फॉल्कन 1 अंतरिक्ष में भेजा गया। 2012 में ड्रैगन के लिए अंतरिक्ष यान भेजने वाली पहली निजी कंपनी बनी। 2015 में फॉल्कन 9 की सफल प्रणोदक लैन्डिंग तथा 2017 में फॉल्कन 9 का पुनः उपयोग भी सफल रहा। SpaceX 2022 में मानव रहित यानों को मंगल गृह पर भेजने की योजना बना रही है।

 

European Space Agency (ESA)

इस एजेंसी को 1975 में स्थापित किया गया था इसका 2018 का बजट $7 बिलियन था।

इस एजेंसी को 22 सदस्य देशों द्वारा संचालित किया जाता है। अपनी स्थापना के बाद से, यह सक्रिय रूप से चंद्रमा और अन्य ग्रहों, दूरसंचार, प्रक्षेपण वाहनों के विकास, और पृथ्वी अवलोकन के लिए मानव रहित अन्वेषण मिशनों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। ESA द्वारा विकसित उपग्रहों ने हमारे सौरमंडल में कई ग्रहों का दौरा किया है जिसमे मार्स एक्स्प्रेस तथा कैसिनी जो नासा के सहयोग से विकसित किया गया है शामिल है।

 

Russian Federal Space Agency (ROSCOSMOS)

Russian Federal Space Agency (ROSCOSMOS)


यह रूस की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी है इसे 1992 (रूस की एजेंसी के नाम से) में स्थापित किया गया था इससे पहले सोवियत संघ में सोवियत स्पेस प्रोग्राम के नाम से 1955 से 1991 तक भी कार्यरत थी। इसका 2015 का बजट $3.27 बिलियन था।

यह एजेंसी अंतरिक्ष से संबंधित सभी कार्यों को सफल बनाने का प्रयास करती है। यह सोवियत संघ के समय से कार्य कर रही है इसे रूस के द्वारा दुबारा 1992 में बनाया गया है। इसने 1955 तथा 1965 के बीच कई बड़े कार्यक्रमों में प्रथम स्थान प्राप्त किया जिसमे पहला कृत्रिम पृथ्वी उपग्रह स्पुतनिक -1, अंतरिक्ष में पहला पुरुष (यूरी गगारीन) तथा महिला (वेलेंटीना टेरेश्कोवा) को ले जाने वाली पहली अंतरिक्ष उड़ान शामिल है।


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China National Space Administration (CNSA)

यह चीन की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी है इसे 1993 में बनाया गया था। इसका 2017 का बजट $11 बिलियन है।

CNSA, ISS (International Space Station) के साथ शामिल नहीं है इसका स्वयं का छोटा space station है। इसके अलावा यह लॉन्ग मार्च नामक इक्स्पेन्डबल लॉन्च सिस्टम का उपयोग करके अपने द्वारा ही नियमित लॉन्चिंग करता है। 2003 के बाद से इन्होंने कई मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों का संचालन किया है तथा अब तक ये 11 चीनी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेज चुके है। 2012 में शेनझोउ 9 यान पर सवार 3 अंतरिक्ष यात्रियों के दल ने अंतरिक्ष में पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान डॉकिंग बनाया। 2014 में, CNSA ने अपने पहले रोबोटिक चंद्र लैंडर और रोवर का उपयोग करके चंद्रमा पर पहली सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक की, जिसका नाम चांग'ई 3 है। इसके अलावा, 2007 में, चीन ने सफलतापूर्वक अपनी मशीनों पर एक एंटी-सैटेलाइट परीक्षण किया।

 

National Aeronautics and Space Administration (NASA)

National Aeronautics and Space Administration (NASA)


यह अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी है इसकी स्थापना 1958 में की गई थी। तथा 2018 में इसका बजट $20.7 बिलियन था।

NASA दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे अधिक बजट वाली तथा सबसे विकसित अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी है। 6 दशकों से NASA अपने क्षेत्र में राज कर रही है। NASA द्वारा पृथ्वी, अन्य ग्रहों, उपग्रहों, आकाशगंगाओं तथा समस्त ब्रह्मांड में खोज जारी है। वैसे तो यह एक स्वतंत्र संगठन है तथा यह किसी भी कार्यकारी विभाग का हिस्सा नहीं है परंतु यह सीधे यूनाइटेड स्टेट के राष्ट्रपति को रिपोर्ट करता है। इसकी स्थापना के बाद से, अधिकांश अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों (अमेरिका में) का नेतृत्व नासा द्वारा किया गया है, जिसमें स्काईलैब स्पेस स्टेशन, स्पेस शटल नामक आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य कम पृथ्वी कक्षीय अंतरिक्ष यान, और सबसे लोकप्रिय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम, अपोलो मून लैंडिंग मिशन शामिल हैं। हम में से ज्यादातर लोग नासा के काम के बारे में कुछ न कुछ जानते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि यह कितने अलग-अलग काम करता है। नासा चार मिशन निदेशालयों से बना है - उन्नत विमानन प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए वैमानिकी अनुसंधान पृथ्वी, सौर मंडल और ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन करने के लिए विज्ञान। अंतरिक्ष अन्वेषण प्रौद्योगिकियों और अंतरिक्ष विज्ञान के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी। मानव अन्वेषण और संचालन मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रबंधन से संबंधित है, जिसमें आईएसएस, प्रक्षेपण से संबंधित मिशन, अंतरिक्ष संचार और परिवहन शामिल हैं। जॉनसन स्पेस सेंटर, जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी, गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर और लैंगली रिसर्च सेंटर सहित कई शोध केंद्र संबद्ध हैं। संगठन ने सफलतापूर्वक 200 से अधिक मानवयुक्त उड़ानें शुरू की हैं, और वे वर्तमान में 70 से अधिक मिशनों पर काम कर रहे हैं।

 

Indian Space Research Organisation (ISRO)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

Indian Space Research Organisation (ISRO) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)


इसरो हमारे भारत देश का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है। इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसरो का 2021-2022 का बजट 13,949 करोड़ ($1.9 बिलियन) है।

इसरो का मुख्यालय बैंगलोर, कर्नाटक में स्थित है। इसरो के वर्तमान अध्यक्ष कैलासवटिवु शिवन् (जन्म : 14 अप्रैल 1957) है।

इसरो का प्रथम उपग्रह का नाम आर्यभट्ट था जो 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में भेज गया था। इस उपग्रह का नाम भारत के महान गणितज्ञ श्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। हालाकी इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था पर यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि इसरो ने कामयाबी का रास्ता चुन लिया था। भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर 7 जून 1949 को पृथ्वी की कक्ष में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को 1980 में भारत निर्मित प्रक्षेपण यान एस एल वी-3 द्वारा कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 भेजा जिसने चंद्रमा की परिक्रमा की इसके बाद इसरो द्वारा 24 सितंबर 2014 को मंगलयान भेजा गया इस प्रकार भारत पहली ही कोशिश में मंगल गृह तक पँहुचने वाला पहला राष्ट्र बन गया। इसी प्रकार 15 फरवरी 2017 को 104 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजकर विश्व कीर्तिमान बनाया। इसरो भविष्य में मानव को चंद्रमा पर उतारने वाला है। 


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