आपका एक बार फिर स्वागत
है।
आप पढ़ रहे है Namaste Bharat AJ, Poem in Hindi की सहायक लेखिका “प्रीति चौहान” द्वारा लिखित कविता
नाजुक सी कली वों,
जो अभी खीली भी न थी।
लड़खड़ाते क़दमों से,
पूरे घर में धूम मचाती वो!
बोलना तो अभी सीखा
भी नहीं था !
कि हमेशा के लिए उसे
खामोश करा दिया गया,
उसकी सुन्दर सी दुनिया
में आ गया एक मानवीय राक्षस
हैवानियत की हद पार
कर उसने कली को कुचल डाला।
क्या अपराध था उस
कली का ?
जिसके दुनिया देखने
से पहले ही आँखें बंद करा दी !
अभी कुछ क्षण हुए ही
थे की पूरा घर लोगों से भर गया।
अरे ये कैसे हुआ ?
किसने किया ? इंसानियत तो रही ही नहीं !
तभी एकदम से सन्नाटा
छा गया, और एक आवाज आयी
अरे तुम क्यों इतनी
हमदर्दी दिखा रहे हो ?
क्योंकि मैं कली थी
इसलिए ?
यहीं मुझे फूल बनने
के बाद कुचला जाता,
तब तो तुम मुझे ही
अपराधी कहते ना !
तो आज फिर ये
हमदर्दी क्यों ?
क्योंकि मैं कली थी
इसलिए ?
कवयित्री प्रीति चौहान
आपका बहुत-बहुत
स्वागत है Namaste Bharat
AJ (नमस्ते भारत ए जे) पर आने के लिए।
अगर आपको कविता पसंद
आई, तो Comment करें तथा हमसे संपर्क करने के लिए Contact Us पर क्लिक करें।
यह भी पढ़े।
स्वतंत्र दिवस 2020 वॉलपेपर संस्कृत श्लोक के साथ
धन्यवाद
Copyright (c) 2023 Namaste Bharat AJ All Right Reseved
6 टिप्पणियाँ
Bahut achi kavita likhi Preeti ji aap aise hee likhti rahe. Dhnywad
जवाब देंहटाएंDhanywaad
हटाएंBehut hi payri poem hai ❤️Dil ko chu lene wali
जवाब देंहटाएंDhanywaad
हटाएंNo words to this creation. This is something out of the box, tremendous lines...
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएं