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The Sun birth, end, area, reactions in hindi Namaste Bharat AJ

The Sun in Hindi (सूर्य, सूरज, तारा)


परिचय


सूर्य हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी में स्थित 100 billion तारों में से एक है। हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह जिनमें हमारी पृथ्वी भी है ये सारे मिलकर सूर्य का चक्कर लगाते है। पृथ्वी पर सूर्य के कारण ही जीवन संभव है तथा पृथ्वी के लिए ऊर्जा का केवल यही एक स्रोत है। सूर्य के कारण ही हमें चांद चमकता हुआ दिखाई देता है। सूर्य पर हाइड्रोजन व हीलियम गैस अधिकतम मात्रा में पाई जाती है। सूर्य से प्रकाश की किरण को पृथ्वी तक आने में 8.3 मिनट का समय लगता है। पृथ्वी तथा सूर्य की दूरी लगभग 14,95,97,870 km है।  सूर्य हमारी पृथ्वी की तरह ठोस नहीं है यह प्लाज़्मा का बना है। अब हम सूर्य की भौतिक अवस्था के बारे में जानेंगे। 

आप पढ़ रहे है The Sun In Hindi, सूर्य के बारे में

सूर्य का क्षेत्रफल, आयतन, द्रव्यमान, तापमान तथा चुम्बकीय क्षेत्र


सूर्य का व्यास व क्षेत्रफल (Sun Area)

सूर्य का व्यास लगभग 13,91,000 km है। तथा इसका क्षेत्रफल 6.09 X 10^12 वर्ग km है, अगर इसकी पृथ्वी से तुलना की जाए तो यह पृथ्वी के क्षेत्रफल से 12000 गुना अधिक है। 


सूर्य का आयतन (Sun Volume)

अगर हम सूर्य के आयतन कि बात करे तो इसका आयतन लगभग 1.41 X 10^18 घन km है अगर इसकी भी पृथ्वी से तुलना की जाए तो यह पृथ्वी के आयतन से 13,00,000 गुना अधिक होगा अर्थात सूर्य में 13,00,000 पृथ्वी समा सकती है।

सूर्य का द्रव्य मान (Sun Mass)

सूर्य का द्रव्य मान 1.989 X 10^30 kg है। यह इतना ज्यादा है कि सम्पूर्ण सौर मंडल का 99.8% है। अगर इसकी पृथ्वी से तुलना करें तो यह पृथ्वी के द्रव्य मान से 3,33,000 गुना अधिक है।


सूर्य का तापमान (Sun Temperature)

हमारे सूर्य का surface temperature 5,505°C है। तथा इसका core temperature 15 million°C है।


सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र (Sun Magnetic field)

सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र आमतौर पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से दुगना होता है,  मगर यह छोटे क्षेत्रों पर 3000 गुना अधिक मजबूत हो जाता है। 

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The Sun In Hindi
सूर्य / सूरज के बारे में

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सूर्य की आंतरिक संरचना और वातावरण (Internal structure and atmosphere of the sun)

सूर्य और उसके वायुमंडल को कई क्षेत्रों और परतों में विभाजित किया गया है। सूर्य का आंतरिक भाग कोर (core), विकिरण क्षेत्र (rediative zone) तथा संवहन क्षेत्र (convective zone) से बना है। Core सबसे आंतरिक भाग है। कोर सूर्य के केंद्र से इसकी सतह तक एक चौथाई भाग तक फैला हुआ है। फिर भी यह केवल सूर्य के आयतन का 2% ही है। इसके बाद विकिरण क्षेत्र आता है जो सतह पर को से 70% तक फैला हुआ है। जो सूरज के द्रव्यमान का 48% है। कोर से प्रकाश इस क्षेत्र में प्रवेश करता है। इस क्षेत्र को पार करने में एक फोटोंन (प्रकाश का कण) को 1 लाख साल लग जाते है। इसके बाद हम संवहन क्षेत्र पर पहुंचते है यह सूर्य के आयतन का 66% है लेकिन इसके द्रव्यमान का केवल 2% है।
          

सूर्य का जन्म (Birth of the Sun)


हम सब जानते है कि ब्रह्माण्ड में हर सेकंड करोड़ों ग्रह तथा तारे जन्म लेते है और मरते है। ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि कितने तारे अभी बन रहे है और मर रहे है। परन्तु अगर हम हमारे सूर्य के जन्म की बात करे तो यह घटना आज से 4.6 अरब वर्ष पुरानी है उस समय हमारा सौरमंडल अस्तित्व में नहीं आया था। उस समय जहां आज हमारे ग्रह, उल्कापिंड, तथा हमारा सूर्य है वहां धूल के कण थे जो एक विशाल बादल के समान प्रतीत होते थे जिन्हें आज हम nebula कहते है। वैज्ञानिकों ने उस समय के बादल को solar nebula कहा  उस समय इस nebula में धूल के कण अपने अक्ष पर चक्कर लगाते रहते थे।
          उस समय solar nebula में अंतरिक्ष के गुरुत्वाकर्षण के कारण दबाव लगने लगा जिससे वे धूल के कण आपस में समीप आने लगे। बहुत से प्रश्न पूछे जाते है कि सूर्य का जन्म कैसे हुआ? सूर्य का निर्माण कैसे हुआ? सूर्य कैसे बना इत्यादि। इन सभी प्रश्नों का उत्तर है गुरुत्वाकर्षण के द्वारा लगने वाले दबाव के कारण है। जब यह दबाव अत्यधिक हुआ तब जो वहां मौजूद गैस व धूल के कण थे वे सभी सघन अवस्था में आ गए। अब इस अवस्था में भी जो धूल के कण अंदर चक्कर लगा रहे थे उनकी सघनता बाहरी धूल के कणों से बहुत अधिक थी। इससे आंतरिक धूल के कणों ने आपस में मिलकर एक गोले का निर्माण किया।
          अब इस गोले में कई प्रकार की chemical reactions होने लगी। सबसे अधिक इस गोले में hydrogen तथा helium की fusion reaction अर्थात संलयन क्रियाएं अधिक मात्रा में होने लगी इस तरह एक तारे का निर्माण हुआ जिसे आज हम सूर्य कहते है। अभी जो हम सूर्य देखते है उसे ऐसा बनने में 50 करोड़ साल लगे। तथा हमारा सूर्य 5 billion सालो तक और जगमगाता रहेगा।

सूर्य का अंत (End of the Sun)


ब्रह्माण्ड में जो भी वस्तु जन्म लेती है उसकी मृत्यु निश्चित है। अतः हमारे सूर्य का अंत भी निश्चित है। हम जानते है कि सूर्य हाइड्रोजन व हीलियम के reactions पर निर्भर है। इन reactions के कारण हाइड्रोजन व हीलियम की मात्रा लगातार कम  होती जा रही है और एक दिन ये बिल्कुल खत्म हो जाएंगे। इसकी वजह से ये एक धमाके के साथ उड़ जाएगा। यह अंत के दिनों में अपने वर्तमान आकर से कई गुना बड़ा हो जाएगा तथा लाल रंग का दिखाई देगा। वैज्ञानिकों ने इस लाल रंग के सूर्य को Red Giant कहा है और इस तरह हमारे सूर्य का अंत होगा।


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