हमने जाना की
ब्रह्माण्ड में करोड़ों तारे, गृह, पिंड है तथा हर सेकंड कई तारे जन्म लेते है तथा
मरते है, और एक दिन हमारे सूर्य का ईधन भी समाप्त हो जायेगा। ब्रह्माण्ड हमें आकाश
में देखने पर बहुत शांत प्रतीत होता है, परन्तु इसमें हर समय कुछ ना कुछ घटित होता
रहता है।
जहाँ
करोड़ो गृह तथा तारे हो वहां सबकुछ शांत कैसे हो सकता है। यहाँ सेकंड के करोड़ वे
हिस्से में अरबों chemical
reactions होती है।
चलिए अब हम आध्यात्मिक ब्रह्माण्ड को जानते
है शिव पुराण के अनुसार नाद और बिंदु के सम्मिलित होने से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति
हुई है। इसे पुराणों में अनाहत कहा गया है ( वह ध्वनि जो किसी टकराव के कारण
उत्पन्न हुई हो) और यह अभी भी निरंतर जारी है हिन्दू धर्म में इसे ही ॐ कहा गया है जो आज भी हमारे ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। इसलिए ॐ को “Sound
of the universe” कहा जाता है। इसलिए कहता हूँ हिन्दू धर्म एक
वैज्ञानिक सोच है जिसे कोई भी झूठला नहीं सकता। वैसे इस Topic को अभी यही छोड़ते है
इस Topic को किसी और लेख में विस्तार से जानेंगे।
अब हम बात करेंगे हमारे आज के विषय के बारे
में जो है The Black
Hole. Black Hole को हिंदी में कृष्ण विवर या काला छिद्र कहते है। black hole ब्रह्माण्ड की सबसे खतरनाक वस्तुओं में से एक है।
यह हमें दिखाते है की हम इस ब्रह्माण्ड में कितने तुच्छ है।
Black Hole के बारे में सबसे पहले बात करने वाले वैज्ञानिक
थे John Michell (1724-1793)
ये कैंब्रिज विश्वविध्यालय में एक अध्यापक थे।
उन्होंने Black Hole के बारे में सन 1783 में
बताया। Albert Einstein ने भी अपने गणितीय सूत्रों के आधार पर Black hole के होने की संभावना का ज़िक्र किया था। उसके बाद Stephen hawking ने विस्तार से इसके बारे में समझाया।
Science Entertainment Poem History Financial Politics
Black hole अन्तरिक्ष में मौजद ऐसी खगोलीय वस्तु है जो किसी
तारे के मरने के बाद जन्म लेती है जिसका गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है की इससे
प्रकाश की किरण तक नहीं बच पाती। आपको पता होगा की प्रकाश की किरण किसी वस्तु से
टकराकर हमारी आँखों पर पड़ती है तभी हमें वह वस्तु दिखाई देती है। (यह घटना प्रकाश
के परावर्तन के कारण होती है।) परन्तु अगर कोई प्रकाश की किरण किसी वस्तु से
टकराकर हमारी आँखों तक नहीं पंहुचती तो हमें वहां सिर्फ काला दिखाई देगा जिसे हम
अँधेरा भी कह सकते है। बस यही सब कुछ Black Hole के साथ
होता है जब प्रकाश की किरण black hole तक पंहुचती है तो black hole का गुरुत्वाकर्षण उसे वापस आने नहीं देता और निगल
लेता है इस कारण black hole
हमें काला दिखाई देता है। black hole का प्रभाव जिस क्षेत्र तक होता है उसे Event Horizon कहा जाता है। black hole एक ऐसा
स्थान है जहाँ भौतिकी के नियम काम नहीं करते।
हमने Sun in hindi में जाना था की एक दिन हमारे सूर्य का ईधन समाप्त
हो जाएगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी वैसे ही हमारे सूर्य से लाखों करोड़ों गुना बड़े
तारों का भी ईधन समाप्त होता है। जब इनका ईधन समाप्त होता है तब यह अपने
गुरुत्वाकर्षण के कारण खुद को संभाल नहीं पाते और इनमे एक जोरदार विस्फोट होता है
जिसे सुपरनोवा कहा जाता है। इस विस्फोट के बाद इसका बचा हुआ हिस्सा बहुत अधिक घनत्व वाला बन जाता है
इसके अत्यधिक घनत्व के कारण इसका गुरुत्वाकर्षण बल असाधारण रूप से बढ़ जाता है। इस
कारण ये अपने बाहरी हिस्से को भी निगलने लग जाता है। इसे इसका संकुचन कहते है। इसके
बाद ये अपने आस-पास आने वाली वस्तुओं को भी अपने अंदर समाहित करने लग जाता है।
इससे निर्माण होता है एक काली खतरनाक तस्तरी का जो लाखों मील प्रति घंटे की रफ़्तार
से घुमती है जिसे हम Black
Hole या कृष्ण विवर कहते है। इसका
गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है की प्रकाश भी इससे बच नहीं पाता जिससे यह हमें दिखाई
नहीं देता।
हमारी Galaxy, Milkyway करोड़ों तारों, ग्रहों, धुल के कणों को अपने अन्दर
समेटे हुए है परन्तु इसके मध्य में है एक विशालकाय Black Hole जिसका
नाम है Sagittarius A. इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से 40 लाख गुना ज्यादा है और यह हमारी पृथ्वी से केवल 26000 प्रकाश वर्ष दूर है। इसकी परिक्रमा हमारा पूरा
सौरमंडल करता है। ये एक supermassive
black hole है।
Black Hole को हम देख
नहीं सकते परन्तु जब कोई गृह या पिंड किसी खाली स्थान का चक्कर लगाते है तो
संभावना होती है की केंद्र में एक Black Hole है। तथा
इसके चारो और भी एक छल्लेनुमा आकृति दिखाई देती है। जिससे हमें पता चलता है की
वहां एक Black Hole है।
Black Hole अंतरिक्ष
में स्थित एक महा दानव है, जो अपने आस पास आने वाली किसी भी वस्तु को निगल जाता
है। यह एक ऐसी वस्तु है जहाँ समय तक धीमा हो जाता है तथा इसके मध्य में समय का भी
कोई अस्तित्व नहीं रहता। अगर आप Black Hole के मध्य में पंहुचते
है तो आपके लिए समय वहीँ रुक जायेगा। परन्तु आप इसकी कल्पना भी मत कीजियेगा। क्योंकि
black hole किसी भी वस्तु को साबुत नहीं निगलता पहले वस्तु अपने
सबसे छोटे टुकडो में विभाजित होता है उसके बाद एक सीधी रेखा में black hole में प्रवेश करती है।
हम जानते है की black hole का निर्माण संकुचन के कारण होता है अगर हमें हमारे
सूर्य को Black Hole बनाना है तो उसे 1 या 1.5 km तक compress करना
होगा तथा यदि हमें हमारी पृथ्वी को Black Hole बना है
तो उसे एक मटर के दाने के बराबर compress कर देना होगा उसके
बाद हमारी पृथ्वी भी एक black
hole बन जाएगी। अब आप सोचिये वे black hole जिनका व्यास ही हजारो, लाखों प्रकाश वर्ष का होता
है वे जब तारे होंगे तो उनका आकार कितना अधिक होगा।
10 अप्रैल 2019 से पहले हमने black hole की जितनी भी तस्वीरें देखी है वे सारी तस्वीरें graphic designer द्वारा बनायीं गयी होती थी और इसके पहले ये सिर्फ
वैज्ञानिक theory में शामिल था परन्तु 10 अप्रैल 2019 को event horizon telescope द्वारा इसकी पहली तस्वीर ले ली गयी यह black hole भी हमारी आकाशगंगा के मध्य में स्थित Sagittarius A की तरह ही है ये black hole M87 नामक आकाशगंगा के मध्य में स्थित है। जो हमसे 5 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
ऐसी ही विज्ञान की जानकारियों को पाने के लिए जुड़े रहिये नमस्ते भारत ए जे से।
मुझसे संपर्क करने के लिए Contact Us पर क्लिक करें।
या Mail करें jignesh@namastebharataj.com
Copyright (c) 2023 Namaste Bharat AJ All Right Reseved
0 टिप्पणियाँ